महानायक राजीव दीक्षित: स्वदेशी के प्रखर वक्ता

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आज 30 नवंबर एक ऐसा महानायक का दिन जो अथा ज्ञान का महासागर था एक ऐसे भारत का वो सत्य था जो हम कभी कल्पना भी नही कर सकते थे। उस परम ज्ञान को उन्होंने अपने हृदय में समाया और पूरे भारत के गौरवपूर्ण इतिहास की दुर्लभ व्याख्या की।
एक ऐसा व्यक्तित्व जो सच्चे अर्थों में एक हीरो थे। सरलता के महाधनी महाज्ञानी राजीव दीक्षित जी...
जी हां आपने नाम शायद कभी न कभी सुना होगा लेकिन आज जान लीजिए और अगर आप स्वास्थ्य से संबंधित उनके व्याख्यान सुनते है  तो देश से संबंधित भी कृपया करके व्याख्यान जरूर सुनिए।
राजीव दीक्षित स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता भारत के इतिहास, ज्ञान और वैभव का दर्शन कराने वाले महानायक..
स्वदेशी से देश को पुनः विश्वगुरु बनाने का सपना देखने वाले महानायक..
अंग्रेजी तंत्रों की लूट और आज के काले अंग्रेजों के तंत्र की लूट का पर्दाफाश कर देश को संपन्न बनाने का रास्ता बताते हुए जन जन में प्रवास करते महानायक..
भारतीयता को जीने वाले महानायक..
जो रिश्ता टूट गया है पिछले 1000 वर्षो से उसे जोड़ने में एक कड़ी का काम करते महानायक...
30 नवंबर 1967 को इनका जन्म हुआ था। बचपन से ही देश के वीरों महानायको से प्रभावित रहे। फिर धीरे धीरे उन्होंने भारत को जानना शुरू किया। उसके इतिहास और विश्व का इतिहास जानना शुरू किया। सब जानकारियां इकट्ठी की प्रमाण इकट्ठे किए तब उन्हे पता चला भारत की व्यवस्था बहुत बिगड़ चुकी है। हम यूरोप के पीछे पड़े हुए है और उन्ही के जैसा भारत को बनाना चाहते है। हमारी मानसिकता गुलामी वाली हो गई है। और ये उनसे देखा न गया और सब कुछ छोड़ देश बचाने में लग गए।
विदेशी कंपनियों की लूट का पर्दाफाश किया पेप्सीकॉक जैसी कंपनी की धज्जियां उड़ा के रख दी। नेताओ के काले कारनामे लोगो को बताएं। विरोधियों को जवाब देते हुए जन जन में प्रवास करते रहे। 
किसी में हिम्मत नही थी की राजीव दीक्षित जी को गलत ठहरा सके क्योंकि वो व्यक्ति ही परमज्ञानी था सभी तथ्य उनके पास हुआ करते थे। और परम ज्ञान का संचार करते जा रहे थे।
*काम हो ही जाने वाला था की फिर एक खबर आई नही रहे राजीव दिक्षित...* 30 नवंबर 2010 को  मृत्यु हो गई हृदय को झकझोर दिया इस खबर ने.. रंग में भंग डाल दिया इस खबर ने.. और वो सपना फिर अधूरा रह गया जो देश के वीरों ने देखा था जो राजीव दीक्षित जी ने देखा था एक सच्चे भारतीय ने भारत के बारे में देखा था।
राजीव दिक्षित की मृत्यु पर  कहते है हृदयघात से उनकी मृत्यु हुई और उनका पोस्टमार्टम भी नही होने दिया उस वक्त। इसलिए ये मृत्यु की कहानी भी अधूरी रह गई। ये कोई जान नही पाया की मृत्यु हुई या हत्या ये भी संदेहास्पद छूट गया। इसका आंकलन आप खुद कीजिए क्या हो सकता है...?
*विरोधियों को लगता है वो चले गए है* लेकिन वो नहीं जानते राजीव दिक्षित जी अब एक विचार बन गए है
चुकीं ज्ञान हमारे पास वो छोड़ गए है और करोड़ो लोग अब राजीव दिक्षित को जान रहें है *क्या आपने भी सर्च किया उन्हें यूट्यूब पर...? और ये मेसेज शेयर किया व्हाट्सएप पर..?*
नही किया तो कृपया जरूर कीजिए भारतीयता से प्रेम है तो जरूर कीजिए.. भारत को विश्वगुरु बनाना है तो जरूर कीजिए.. क्योंकि यही रास्ता है जो हमारे देश को स्मृद्धशाली, विश्वगुरु और महाशक्ति बना सकता है क्योंकि राजीव भाई के कण कण में बसां है भारत। और भारत का वो चेहरा जो हर भारतीय से दूर है।
राजीव दिक्षित जी के विचार आप स्वयं सुनिए और लोगो तक पहुंचाइए। इतना काम आप कर दीजिए फिर देखिए क्या कमाल होता है वो विचार ही पूरे भारत की व्यवस्था बदल देगा और हर भारतीय फिर भारतीयता को जीयेगा।

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