स्त्री होना अपराध है
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यह कैसा समाज है, जहां स्त्री होना अपराध है।
अगर ले लिया जन्म बेटी ने तो हर सदस्य कुछ परेशान है।
एक और चांद पर पहुंची दुनिया, पर घर की चांदनी घर में ही मोहताज है।
क्या हुआ अगर पढ़ लिख गई तुम तो, क्यों तुम्हें इस पर इतना गुमान है।
मत भूलो तुम्हारे सपने भी परिवार पर कुर्बान थे, और कुर्बान हैं।
बदला जमाना, बदली दुनिया की रफ्तार, पर परिवार की खुशियां ही तेरा संसार है।
किताबों के सबक सिखाते बहुत कुछ है, तोड़ते नहीं मगर यह दीवार है।
तुम समझो, तुम्हें ऐसा करना है, ऐसे चलना उठना बैठना है, इन्हीं संस्कारों से भरा ही तेरा संसार है।
क्यों एक दिन मेरे नाम कर जगह- जगह सम्मानित कर झूठा दिखावा करते हो।
मत दो आरक्षण की भीख हमें, हमें तो भरनी पूरे आसमान की उड़ान है।
संस्कार देना पीढ़ी को मेरा ही काम है।
पर कैसे ये संस्कार हैं, जहाँ न मेरी जमी न मेरा आसमां है।
सारे जुल्म-सितम की शिकार है, आखिर स्त्री होना क्यों अपराध है।
प्रस्तुति:-सोनिया त्रिखा

बहुत खूब मैम 👌👌👌👌🙏
जवाब देंहटाएंDeep meaning and fabulous work
जवाब देंहटाएंWorth reading
जवाब देंहटाएं👌
So great mam
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